कुदरत का सबसे अनमोल तोहफा प्यार है। यह बाँटने से और बढ़ता है तथा अपनी भीनी-भीनी महक को प्रकृति में चारों ओर बिखेर देता है। यूँ तो प्यार के प्रेम, इश्क, लव रोमांस, चाहत, मोहब्बत जैसे कई प्यारे नाम हैं पर प्यार की खूबसूरती पर इन नामों का कोई असर नहीं होता है। लोग बदल जाते हैं, पर प्यार कभी नहीं बदलता है।
यह तो ऐसा संक्रामक रोग है जो देखने से भी फैलता है और कभी भी कहीं भी किसी को भी हो सकता है।कुछ लोग कहते हैं कि प्यार किया नहीं जाता, बस हो जाता है। पर प्यार देखकर समझकर तो किया ही जा सकता है। प्यार क्या है, किससे करें, कब करें। ऐसे कई अनसुलझे सवाल हैं कि अगर जानबूझकर इन्हें नजरअंदाज किया जाए तो अंत में निराशा तथा दिल के टूटने की आहट ही सुनाई देती है। कई बार जिएँगे तो साथ-मरेंगे तो साथ ऐसी कसमें खाकर उसे निभाने के वादे तो लोग कर लेते हैं लेकिन प्रेम में परवान चढ़ते-चढ़ते जब जिंदगी की हकीकत से सामना होता है तो सारे सपने उनके कदमों तले टूटकर बिखर जाते हैं और कुछ दिनों का इश्क जीवनभर के अश्क बन जाता है।
यह स्थिति स्वाभाविक भी है क्योंकि जब कोई किसी से सच्चा प्रेम करता है एवं केवल सामने वाले के रूप-रंग से आकर्षित नहीं होता बल्कि उसकी सीख से प्रेम करता है तो वह कभी भी यह जानने की कोशिश नहीं करता है कि वह जिसकेइश्क में गिरफ्तार है वह उसके प्रति क्या सोचता/सोचती है। वह वफादार हैया नहीं। उसकी आने वाले भविष्य में क्या योजनाएँ एवं संभावनाएँ हैं। इसीका परिणाम होता है-
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