Barish ke bad kyu aati hai mitti se sondhi khusbu

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 कहां से है। इस सवाल का जवाब वैज्ञानिकों ने ढूंढ लिया है। दरअसल, जमीन को स्पर्श करने से पहले बारिश की बूंदों में कोई खुशबू नहीं होती, लेकिन जैसे ही यह धूलकणों से मिलती है, हम एक सोंधी सी खुशबू महसूस करते हैं।

इस खुशबू को “पेट्रिकोर” कहते हैं, जो ग्रीक भाषा के शब्द पेट्रा से बना है, जिसका अर्थ स्टोन या आईकर होता है, और माना जाता है कि यह वही तरल है, जो ईश्वर की नसों में रक्त के रूप में बहता है।

कैंब्रिज में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर कुलेन बुई ने कहा, दरअसल, पौधों द्वारा उत्सर्जित किए गए कुछ तैलीय पदार्थ व बैक्टीरिया द्वारा उत्सर्जित कुछ विशेष रसायन बारिश की बूंदों के साथ प्रतिक्रिया करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप हम ऎसी सोंधी खुशबू म हसूस करते हैं।

बारिश की बूंदें जैसे ही जमीन पर छिद्रयुक्त सतह पर गिरती हैं, वह हवा के छोटे-छोटे बुलबुलों में तब्दील हो जाती है। ये बुलबुले फूटने के पहले ऊपर की ओर बढ़ते हैं और हवा में बेहद छोटे-छोटे कणों को बाहर निकालते हैं, जिसे “एरोसॉल” कहते हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक यही एरोसॉल सोंधी-सोंधी खुशबू बिखेरते हैं, जो हमारा चित्त प्रसन्न कर देती है। यह निष्कर्ष पत्रिका “नेचर कम्युनिकेशन” में प्रकाशित हुआ है।

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Girls are on top in education

Girls are on top in education

अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि 70 फीसदी देशों में शैक्षिक उपलब्धियों के मामले में लड़कियां, लड़कों से कहीं आगे हैं। लैंगिक, राजनीति, आर्थिक और सामाजिक समानता का स्तर भिन्न होने के बावजूद वे अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। अंाकड़ों के मुताबिक गणित और विज्ञान की पढ़ाई सहित समग्र शैक्षिक उपलब्धियों में दुनियाभर में लड़के लड़कियों से पीछे हैं।

अमरीका के कोलंबिया स्थित मिसौरी विश्वविद्यालय (एमयू) और स्कॉटलैंड के ग्लासगोव स्थित ग्लासगोव विश्वविद्यालय के दल ने कहा कि कोलंबिया, कोस्टा रिका और भारत का हिमाचल प्रदेश केवल तीन ऎसे देश और क्षेत्र हैं, जहां पर लड़के, लड़कियों से आगे हैं।

एमयू में मनोविज्ञान के प्राध्यापक डेविड गैरी ने कहा, हमने 2000 से 2010 के बीच इकट्ठा किए गए आंकड़ों से पूरी दुनिया के 15 साल के 15 लाख ब च्चों की शैक्षिक उपलब्धियों का अध्ययन किया।

उन्होंने कहा, राजनीति, आर्थिक स्थिति, सामाजिक और लैंगिग समानता जैसे मुद्दे रहने और उन पर नीतियां होने के बावजूद ऎसे देशों में भी जहां पर महिलाओं की स्वतंत्रता पर काफी बंदिशें हैं, वहां भी हमने देखा कि 15 साल की लड़कियां लड़कों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।

अपेक्षाकृत कम लैंगिक समानता के लिए जाने जाने वाले देश जैसे कतर, जॉर्डन और संयुक्त अरब अमीरात में शैक्षिक उपलब्धि में अंतर अपेक्षाकृत अधिक है और लड़कियों के पक्ष में है।

ग्लासगोव विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्राध्यापक जिज्सबर्ट स्टोएट ने कहा, उच्च उपलब्धि हासिल करने के मामले में अपवाद के अलावा पूरी दुनिया में लड़कों की शैक्षिक उपलब्धि लड़कियों की तुलना में कम है।

शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष में कहा कि शोध में शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण आशयों के बारे में भी बताया गया है। इस शोधपत्र को इंटेलीजेंस नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

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